ध्यानचंद का जीवन संघर्ष और अनुशासन, खेल व्यक्ति को मजबूत ही नहीं बनाते बल्कि राष्ट्र को भी गौरवान्वित करते हैं : सुमन सौरभ

राष्ट्रीय खेल दिवस पर उड़ान इंटरनेशनल स्कूल में मनाई गई ध्यानचंद जयंती 
बेगूसराय। ध्यानचंद का जीवन संघर्ष और अनुशासन हमें यह संदेश देता है कि खेल व्यक्ति को मजबूत ही नहीं बनाते बल्कि राष्ट्र को भी गौरवान्वित करते हैं। ध्यानचंद जी ने अपनी अद्भुत खेल प्रतिभा से भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाए। ये बातें राष्ट्रीय खेल दिवस पर उड़ान इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में निदेशक सुमन सौरभ ने कही। उन्होंने कहा राष्ट्रीय खेल दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिवार ने भारतीय हॉकी के महानायक मेजर ध्यानचंद जिन्हें पूरे विश्व में “खेल का जादूगर” कहा जाता है उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानाचार्य ने कहा हॉकी के इस जादूगर का खेल कौशल इतना अद्वितीय था कि विरोधी भी उनके प्रशंसक बन जाते थे। बच्चों को चाहिए कि वे ध्यानचंद जी से प्रेरणा लेकर खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ दें और शिक्षा व खेल दोनों में संतुलन बनाएं। उप प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों ने भी अपने विचार रखे। सभी ने एक स्वर में कहा कि ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ियों के जीवन से हमें परिश्रम अनुशासन और समर्पण का पाठ सीखना चाहिए। विद्यालय परिवार ने संकल्प लिया कि शिक्षा के साथ साथ खेलों में भी उत्कृष्टता की दिशा में निरंतर प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम की शुरुआत निदेशक सुमन सौरभ प्रधानाचार्य शिमोंता राय उप प्रधानाचार्य अमित कुमार पांडे एवं गार्गी चौधरी तथा शिक्षकों द्वारा ध्यानचंद के चित्र पर माल्यार्पण की गई। विद्यालय परिसर में विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। विजेताओं को पुरस्कृत किया गया और सभी को खेल भावना तथा स्वास्थ्य के महत्व पर प्रेरित किया गया।
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