
विधानसभा में दो बार आवाज बुलंद करने वाले का शीर्षस्थ नेतृत्व ले संज्ञान, हम थे हैं और रहेंगे : रामानंद
भाजपा के अंदर अंदरुनी कलह पार्टी हित के लिए अच्छा संकेत नहीं
बेगूसराय। बखरी विधानसभा क्षेत्र से सदन में दो बार आवाज बुलंद करने वाले को भाजपा का शीर्षस्थ नेतृत्व संज्ञान में नहीं ले पा रही है कारण क्या है ये तो पार्टी के वरीय अधिकारी ही जाने। इन दिनों बखरी विधानसभा क्षेत्र में एनडीए के अंदर अंदरुनी कलह पार्टी हित के लिए अच्छा संकेत नहीं है क्योंकि मेरा भी अपना व्यक्तिगत अनुभव है हम तन मन धन से पार्टी के साथ थे हैं और आगे भी रहेंगे। ये बातें बखरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक रामानंद राम ने अपने साक्षात्कार में बताया कि हम 10 वर्ष 1985 से 2000 तक भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी में रहे कुछ सामंती तानाशाही विचारधारा के लोगों के द्वारा दलितों को टॉर्चर किया जा रहा था और पिछड़ी जाति की हत्या भी हुई थी। हम वर्ष 2002 से 2005 तक राजेन्द्र कृषि विश्व विद्यालय पूषा सिंडिकेट मेंबर का निर्विरोध चुनाव जीते। जीडी कॉलेज में छात्र नेता भी रहे और और भासो पार्टी चला रहे थे उसके बाद हमने राजद की सदस्यता ली। उस समय सीपीआई राजद का गठबंधन टूट गया था जनता त्रस्त में थी कि भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी को कौन हराएगा। राजद में लालू प्रसाद यादव को सारा कहानी बताए और टिकट मिला वर्ष 2000 में हमने पहली बार सीपीआई लाल झंडा के रामविनोद पासवान को लगभग 558 मतों के अंतर से पराजित किए और वर्षों से चली आ रही लाल झंडा के किला को ध्वस्त किया। वर्ष 2005 में दोनों बार कम मतों के अंतर से सीपीआई जीता क्योंकि मध्यावधी चुनाव हुआ था। भाजपा जब बखरी का रिसर्च किया तो सुशील कुमार मोदी हमको ढूंढे और लगभग 2 घंटे वार्तालाप के बाद उन्होंने हमको वर्ष 2010 में टिकट दिए लगभग 18 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीते। वर्ष 2015 में भाजपा लोजपा का गठबंधन था और राजद जदयू गठबंधन में राजद सीट से उपेंद्र पासवान जीते वहीं गठबंधन में 2015 में टिकट मिला था बेगूसराय सातों विधानसभा हमलोग हारे हैं क्योंकि गठबंधन का जीत होता है। वर्तमान में पार्टी में जो अंतर्कलह है वही उस समय मौजूदा स्थिति बनी थी जो ऐसा परिणाम देखने को मिला था। वर्ष 2020 में टिकट नहीं मिली कामेश्वर चौपाल हारे। आपको बता दें कि 18 से 20 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल करने वाली पार्टी भाजपा शुरू से लड़ रही है उसके बाद शीर्षस्थ नेतृत्व का ध्यान क्यों नहीं।

उन्होंने बताया कि पासवान समुदाय के लोग लगभग 28 से 30 हजार हैं रविदास समाज के लगभग 26 हजार उसके बाद स्थानीय यादव समाज 60 प्रतिशत मेरे नाम पर मतदान करता है और हम यादव समुदाय का वोट अपना परिवारिक संबंध के कारण ले लेते हैं हमारे जीत का कारण यही होता है। उन्होंने कहा कि अगर रविदास समाज को टिकट नहीं मिलता है तो रविदास परिवार हमारे बात का अनदेखा कर इधर उधर कर देगा। हमको सभी वर्ग और दल सीपीआई राजद का भी वोट मिलता है अगर शीर्षस्थ नेतृत्व उचित समय पर सही निर्णय नहीं लिया तो वही हालात बनेगी जो 2020 में हुई थी।
हमारे परिवार का राजनीति के क्षेत्र में अपना एक अलग पहचान है अपना परिवार का पुराना राजनैतिज्ञ रहा है वर्ष 2011से 2016 तक जिला परिषद सदस्य रही मेरी पत्नी सुमित्रा देवी गढ़पुरा ब्लॉक में लगभग 1800 मतों के अंतर से प्रमुख को हराकर सबसे ज्यादा मत से पंसस बनी। मेरा पुत्र राहुल राज आरएसएस का विस्तारक रह चुका है और युवाओं में सक्रिय नेतृत्वकर्ता है। पार्टी की वर्तमान स्थिति की के कारण महादलित में भीम आर्मी पार्टी उसका कार्यकर्ता महागठबंधन में चला गया। उन्होंने कहा कि बखरी के मतदाता हमारे पक्ष में सुनामी पकड़े हुए है।CONTACT FOR NEWS & ADD – 7903657987











