
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्य तिथि पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई
बेगूसराय। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्य तिथि के अवसर पर स्वर्ण जयंती पुस्तकालय में डीएम तुषार सिंगला द्वारा उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई वहीं दूसरी ओर कारगिल विजय सभा भवन में डीएम एवं उपस्थित सभी पदाधिकारियों द्वारा उनके तैलीय चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई साथ ही उपस्थित सभी लोगों द्वारा दो मिन का मौन धारण किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस परिसर में नथुराम गोडसे ने हत्या कर दी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को 78 वर्ष की आयु में हुई थी तभी से इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसे सर्वोदय दिवस भी कहा जाता है। अहिंसा की राह दिखाते हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ये विचार आपको बता दें कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है 1948 को देश के इतिहास में एक काले दिन के तौर पर दर्ज है। शहीद दिवस के इतिहास की बात करेंगे 30 जनवरी 1948 की घटना आज भी देश की यादों में बसी हुई है। गौरतलब बात यह है कि गांधी जी जब सात वर्ष के थे उनका परिवार काठियावाड़ के राजकोट जिले में जाकर बस गया जहां उनके पिता करमचंद गांधी दीवान के पद पर नियुक्त थे। गांधी जी ने राजकोट में प्राथमिक और उच्च शिक्षा प्राप्त की थी वे साधारण छात्र थे और स्वभाव से अत्यधिक शर्मीले एवं संकोची थे। वे बहुत ही सीधे एवं ईमानदार व्यक्ति थे। मृत्यु के बारे में महात्मा गांधी ने कहा था कि जो व्यक्ति पूरी तरह से जीता है वह किसी भी समय मरने के लिए तैयार रहता है मृत्यु कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन पराजित और अपमानजनक जीवन जीना प्रतिदिन मरने के सामान है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख अभियान चंपारण सत्याग्रह खेड़ा सत्याग्रह असहयोग आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन या नमक सत्याग्रह दांडी मार्च आदि है। गांधी जी ने लंदन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की थी। मौके पर एसपी मनीष महापौर नगर निगम उप विकास आयुक्त अपर समाहर्ता प्रभारी पदाधिकारी जिला गोपनीय शाखा एवं अन्य उपस्थित लोगों द्वारा भी माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।